Monitor क्या है, Monitor के प्रकार, Monitor कैसे काम करता है , और Monitor की विशेषताए – Monitor एक Output Device है, जब लोग 20 से 25 साल पहले नए-नए कंप्यूटर को देखा तो मॉनिटर को लोग टेलीविजन समझ रहे थे। यह बात भी सही है एक मॉनिटर टेलीविजन जैसे काम कर सकता है।
लेकिन एक मॉनिटर का काम उस से बहुत ज्यादा काम होता है। एक मॉनिटर पूरे कंप्यूटर के प्रोसेसिंग रिजल्ट प्रदर्शित करता है । बिना मॉनिटर के इंसान कंप्यूटर का काम नहीं कर सकता।
मॉनिटर को पहले Visual Display unit नाम से जाना जाता था लेकिन 1990 के दशक से इसे मॉनिटर नाम से ज्यादा पॉपुलर हुआ। आपके मोबाइल फोन में तो लेकर आए उसे हमारे टाइम पर बैठते हैं तो आइए जानते हैं इस आर्टिकल में Monitor क्या है?, Monitor के पार्ट्स, Monitor कैसे काम करता है?, Monitor की विशेषताए, Monitor के प्रकार के बारे में जानेगे।
Monitor क्या है? (What is Monitor in Hindi) –
मॉनिटर कंप्यूटर की एक output डिवाइस है जो कंप्यूटर में इनपुट किये गए डाटा को कंप्यूटर स्क्रीन में दिखाता है। मॉनिटर को Visual Display unit के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह इंफॉर्मेशन को स्क्रीन में दिखता है।
मॉनिटर कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण डिवाइस है इसके बिना कंप्यूटर अधूरा है क्योंकि जब तक हमें पता नहीं होगा कि कंप्यूटर में क्या चल रहा है तब तक हम कंप्यूटर में काम नहीं कर पाएंगे।
मॉनिटर CPU से जुड़ा रहता है, जब यूजर keyboard या mouse के द्वारा देता input करता है या कंप्यूटर को निर्देश देता है तो कंप्यूटर आउटपुट डिवाइस मॉनिटर में उसी समय परिणाम को दिखता है जिस समय काम किया जाता है। मॉनिटर की सारी जानकारी इमेज, वीडियो, और text के रूप में दिखाता है। कई लोग मॉनिटर को स्क्रीन या डिस्पले भी बोलते हैं लेकिन इसका वाश्ताविक नाम मॉनिटर ही है।
Monitor के उपयोग (Uses of Computer Monitor in Hindi) –
मॉनिटर की मदद से कंप्यूटर में सभी कार्य कर पते हैं क्योंकि मॉनिटर स्क्रीन के बिना हमें कंप्यूटर में कुछ भी नहीं दिखाई देगा। इसकी मदद से गेमिंग, ईमेल भेजना, रिसीव करना, डाटा एंट्री, वेब ब्राउजिंग और व्यापर से जुड़े सभी कार्य किए जाते हैं।
- Gaming
- Data entry
- Word prowsing
- Web browsing
- Sending & Receiving emails
Monitor की परिभाषा –
यह एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र होता है जिसे कंप्यूटर सिस्टम का आउटपुट डिवाइस भी बोला जाता है ये यूजर और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) के बीच एक माध्यम की तरह काम करता है। यह जानकारी को फोटो, टेक्स्ट और वीडियो के रूप में हमें अपने स्क्रीन में दिखाता है। जिसे Visual Display unit के नाम से जाना जाता है जिससे संक्षेप में VDU कहा जाता है।
Monitor Full From (Monitor का पूरा नाम) –
- M – Machine
- O – Output
- N – Number of
- I – Information
- T – To
- O – Organize
- R – Report
Monitor के पार्ट्स (Parts of Monitor in Hindi) –
मॉनिटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स से जुड़कर बना होता है जिसमें से प्रत्येक पार्ट्स का अपना अलग कार्य होता है। यह कुछ मुख्य मॉनिटर पार्ट्स है।
LCD Screen –
आजकल मॉनिटर में LCD Screen का इस्तेमाल ज्यादा होता है। जो पतला और हल्का होता है।
Layered Glass –
LCD monitor की Screen Glass के बहुत सारे Layer से बनती है जो स्क्रीन पर लाइट का हेरफेर करता है।
Laptop Stand –
मॉनिटर को किसी डेस्क पर खड़ा रखने के लिए लैपटॉप स्टैंड का इस्तेमाल किया जाता है।
Power Connector –
मॉनिटर में एक Power Connector होता है। जो अलग-अलग components में पावर सप्लाई करता है और सभी को आपस में जोड़े रखता है।
Interface Board –
मॉनिटर में एक Interface Board होता है जो सभी कार्य पर नियंत्रण रखता है।
Amplifier Circuit –
Amplifier Circuit Video Signal को बढ़ाने का कार्य करता है।
Monitor कैसे काम करता है? (How does Monitor work in Hindi) –
मॉनिटर में एक स्क्रीन होती है जो मॉनिटर का डिस्प्ले एरिया होता है। उदाहरण के लिए जब आप माउस को घुमाते हैं, तो माउस पॉइंटर भी मॉनिटर की स्क्रीन पर चलता हुआ दिखाई देता है।
इसके अलावा मॉनिटर को HDMI केबल या VGA केबल के द्वारा सिस्टम यूनिट से जोड़ा जाता है, सिस्टम में मौजूद वीडियो कार्ड की मदद से मौजूदा जानकारी को मॉनिटर तक पहुंचाया जाता है, तब मॉनिटर अपनी स्क्रीन पर जानकारी प्रदर्शित करता है। मॉनिटर बहुत तेजी से काम करता है यह कंप्यूटर में चल रही सभी गतिविधियों को स्क्रीन पर तत्कालीन दिखाता है।
Monitor की विशेषताए (Features of Monitor in Hindi) –
एक मॉनिटर की विशेषता है स्थानीय रिजोल्यूशन, स्क्रीन आकर, बिट गहराई, डॉट पिच और ल्युमिनेंस यह सब विशेषताएं होती है जो इमेज क्वालिटी को प्रभावित कर सकती है। एक मॉनिटर का लोकल रिजोल्यूशन अक्सर पिक्सेल मैट्रिक्स के आकार के संदर्भ में व्यक्त किया जाता है। जो एक मॉनिटर का मुख्य लक्षण है-
Resolution of Monitor –
मॉनिटर रिजोल्यूशन किसी भी डिस्प्ले के विजुअल परिणाम का वर्णन करता है। मॉनिटर रिजोल्यूशन पिक्सेल से बने हुए होते हैं डिस्प्ले स्क्रीन पर होरिजेंटल और वर्टिकल पिक्सेल की संख्या को अकाउंट किया जाता है। जितने अधिक पिक्सेल उतने ही अधिक जानकारी बिना स्क्रोल किए दिखाई देती है।
उदाहरण के लिए एक मॉनिटर का स्क्रीन रिजोल्यूशन पिकसेल काउंट 1920 * 1080 पिक्सेल इसका माने यह हुआ 1920 होरिजेंटल 1080 वर्टिकल पिक्सेल बराबर 2073600 पिक्सल स्क्रीन पर मौजूद है।
पिक्सेल या पिक्चर एलिमेंट डिस्प्ले पर सबसे छोटे पॉइंट होते हैं, साथ ही साथ यह पिक्सेल के साथ जोड़ के हमें इमेज दिखाता है। इसलिए पिक्सेल अपनी स्क्रीन पर दिखाई देने वाली किसी भी पिक्चर के निर्माण खंड है। पिक्सेल और रिजोल्यूशन सीधे कोरलेटड होते हैं और आप जितना ज्यादा रिजोल्यूशन वाला मॉनिटर उपयोग करेंगे उसमें उतना ही ज्यादा पिक्सेल रहेगा।
Size of Monitor –
मॉनिटर की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका स्क्रीन साइज है। जैसे टेलीविज़न स्क्रीन के आकार को एक तिरछा इन्च में मापा जाता है, एक कोने से विपरीत कोने तक की दूरी तिरछा नापा जाता है।
उसी तरह मॉनिटर के साइज को स्क्रीन के देखने योग्य क्षेत्र के एक कोने से तिरछी विपरीत कोने तक की दूरी को से मापा जाता है आजकल के मॉडर्न मॉनिटर की स्क्रीन साइज कम से कम 21 इंच की होती है। पहले छोटे वीजीए मॉनिटर का विशिष्ट 14 इंच का होता था। उनके आकार के अलावा, मॉनिटर या तो पोर्ट्रेट, लैंडस्केप, कर्व या स्क्वायर हो सकता है।
Bit Depth of Monitor –
मॉनिटर क्या है Bit Depth एक इमेज में संग्रहित कलर की जानकारी को संदर्भित करती है। किसी इमेज की Bit Depth जितनी अधिक होगी वह उतना ही अधिक कलर संग्रहित कर सकता है। एक सिंपल इमेज में एक Bit Depth है यानी वह केवल दो रंग दिखाती दिखा सकती है ब्लैक और वाइट।
अगर किसी इमेज में 32 Bit Depth हैं उस इमेज में 16.7 मिलियन True Color स्टोर होकर है। एक कलर Depth को ही Bit Depth कहा जाता है, जितने ज्यादा कलर उतने ज्यादा फोटोरियलिस्टिक इमेज मॉनिटर में दिखेगा।
Refresh Rate –
डिस्प्ले मॉनिटर को प्रति सेकंड कई बार Refresh होता है एक नया इमेज ड्रा करने के लिए। रिफ्रेश रेट को Hertz में मापा जाता है और इसे Vertical Frequency या Vertical रिफ्रेश रेट भी कहा जाता है।
हाई रिफ्रेश रेट पर गेम खेलने से आपके गेमिंग अनुभव पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। जितना ज्यादा रिफ्रेश रेट वाला मॉनिटर रहेगा उतना ज्यादा नया इमेज ड्रा करने में सक्षम होगा।
Interlaced or Non-Interlaced –
इंटरलेसिंग एक डिस्प्ले तकनीक है जो मॉनिटर को सस्ते से अधिक रिजोल्यूशन प्रदान करने में सक्षम बनाती है। इंटरलेसिंग मॉनिटर के साथ, इलेक्ट्रॉन गन्स प्रत्येक पास के साथ केवल आधी होरिजोंटल लाइन खींची है।
क्योंकि एक इंटरलेसिंग मॉनिटर एक बार में केवल आधी लाइन को रिफ्रेश करता है, यह प्रति रिफ्रेश चक्र में दोगुनी लाइनों को प्रदर्शित कर सकता है, जिससे इसे अधिक रिजोल्यूशन दिया जा सकता है। इंटरलेसिंग की एक कमी यह है कि प्रतिक्रिया समय धीमी है, इसलिए नॉन-इंटरलेसिंग मॉनिटर आमतौर पर बेहतर होता है।
Dot Pitch of Monitor –
डॉट पिच यानि पिक्सेल के घनत्व को रेफर करता है, इसे पिक्सेल पिच भी कहा जाता है। यह एक माप है जो डिस्पले स्क्रीन पर प्रत्येक पिक्सेल के बीच वर्टिकल दूरी को जाहिर करता है।
यह मिलीमीटर में मापा जाता है डॉटपिच प्रमुख विशेषताओं में से एक है, जो डिस्प्ले मॉनिटर की गुणवत्ता निर्धारित करता है। छोटे पिक्चर पिच जितने होंगे उतने ज्यादा पिक्सल डेंसिटी ज्यादा होगा और कुछ रिजोल्यूशन का डिस्प्ले होगा।
Convergence –
Convergence मान होता है एक मॉनिटर में व्यक्तिगत कलर पिक्सेल कितना शार्प दिखाई देता है। हर पिक्सेल तिन डॉट से मिलकर बना हुआ होता है RGB यानि रेड, ग्रीन और ब्लू यह सारे डॉट पिक्सेल में सही से संमिलन नहीं हुआ तो पिक्सेल ब्लर हो जाता है सभी मॉनिटर में कुछ Convergence त्रुटीया होती है। मॉनिटर को सही Convergence वाला लक्षण होना चाहिए।
Monitor कनेक्टर के प्रकार (Monitor Connector Types) –
यहां कुछ वीडियो इनपुट कनेक्टर दिए गए हैं जो आपको कंप्यूटर मॉनिटर के पीछे मिलेंगे। ये कनेक्शन आपके मॉनिटर को डिस्प्ले की जानकारी रखने के लिए कंप्यूटर ग्राफिक्स कार्ड कनेक्ट करने की अनुमति देता है।
VGA –
वीडियो ग्राफीक्स ऐरे एक एसी तकनीकी है जो अप्रचलित है यह लंबे समय से आसपास रहा है, लेकिन यह एक एनालोग वीडियो सिग्नल अब वंचित मानक नहीं है यह एक ऑडियो सिग्नल ले जाने में सक्षम नहीं है।
DVI –
डिजिटल विजुअल इंटरफेस एक डीजल वीडियो सिग्नल कनेक्टर है जिसका उपयोग न केवल कंप्यूटर मॉनिटर में बल्कि अन्य यूजर इलेक्ट्रॉनिक्स में भी किया जाता है।ड्यूल-लिंक डीवीआई सिंगनल-लिंक डीवीआई की तुलना में दोगुना डेटा लगता दर वहन करता है। इसने उच्च रिजोल्यूशन और ताजा दरो की अनुमति दी है।
HDMI –
हाई-डेफिनिशन मल्टीमिडिया इंटरफेस कनेक्टर पांच प्रकार के होते हैं –
- Standard (A)
- Dual -Link (B)
- Mini (C)
- Micro (D)
- Automotive (E)
यह एनालॉग वीडियो मनको के लिए एक प्रतिस्थापन है और असंपीडित वीडियो डाटा और संपीडित/असंपीडित है ऑडियो डाटा संचारित कर सकता है।
DisplayPort –
डिस्पलेपोर्ट सामान्य उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के बजाय कंप्यूटर बाजार में अधिक समान्यताएं उपयोग किया जाता है। नवीनतम संस्करण 2.0 की अधिकतम कुल डेटा दर 77.37Gbits/s है। डिस्पलेपोर्ट दो आकारों में आता है, मानक आकार और एक मिनी डिस्पलेपोर्ट।
USB C –
USB C मॉनिटर बाजार में काफी नए हैं और मोबाइल मॉनिटर के लिए एक लोकप्रिय चलन है। उदाहरण के लिए आपको सबसे अधिक संभावना एक केबल की आवश्यकता होगी जो आपके मॉनिटर को usb-c से डिस्पलेपोर्ट या HDMI से कनेक्ट कर सकें।
Monitor के प्रकार (Type of Monitor in Hindi) –
हम तो हम जान चुके हैं कि मॉनिटर क्या है? तो अब बारी है मॉनिटर के प्रकार के बारे में जानने की तो चलिए अब इसके बारे में भी जानते है –
Cathode Ray Tube (CRT) Monitors –
यह मॉनिटर में उपयोग की जाने वाली पहली टेक्नोलॉजी है जो एक इमेज को बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनस के इलेक्ट्रॉन के किरणों का उपयोग करती है। इसमें गन्स स्थापित होते हैं, जो स्क्रीन के अंदर इलेक्ट्रॉन के किरणों में आग लगाते हैं और इलेक्ट्रॉन की किरण बार-बार स्क्रीन की सरफेस से टकराती है। ये गन्स लाल, हरा और नीला रंग उत्पन्न करते हैं और इन तीन रंगों के मिश्रण की वजह से और अधिक रंग उत्पन्न होता है। आज के समय में फ्लैट पैनल मॉनिटर में CRT मॉनिटर की जगह ले ली है।
Flat Panel Monitors –
Flat Panel Monitor, मॉनिटर का एक प्रकार है। इस प्रकार के मॉनिटर कम जगह लेने वाले होते हैं और CRT monitor की तुलना में कम बिजली की खपत भी करते हैं। इस प्रकार के मॉनिटर CRT मॉनिटर की तुलना में अधिक महंगे होते हैं लेकिन यह अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं क्योंकि यह हानिकारक रेडिएशन प्रभाव नहीं करते है।
फ्लैट पैनल मॉनिटर का डिस्प्ले कांच की प्लेट से बनाया जाता है प्लेट में एक तत्त्व होता है, जो कई तरह के कामों के लिए एक्टिव रहते हैं इस मॉनिटर का मुख्य उपयोग नोटबुक, कंप्यूटर और सेलुलर फ़ोन किया जाता है और इन मॉनिटर का आकर भिन्न भिन्न होता है जैसे 15m,17m, 18m, 19m और इत्यादि।
Touch Screen Monitors –
टच स्क्रीन मॉनिटर यूजर को कंप्यूटर से कम्युनिकेट करने के लिए माउस और कीबोर्ड का उपयोग करने के बजाय फिंगर्स और स्टाइल का उपयोग करके कंप्यूटर से कम्युनिकेट करने में सक्षम बनाता है जब यूजर कंप्यूटर या लैपटॉप के स्क्रीन को छूता है तो उस समय एक घटना होती है जो प्रोसेसिंग के लिए कंट्रोलर तक भेजी जाती है। इसी तरह से स्क्रीन में टेक्स्ट और इमेज शामिल होती है, जो यूजर को कंप्यूटर से कम्युनिकेट करने में मदद करती है।
LED Monitors –
यह एक फ़्लैट स्क्रीन कंप्यूटर मॉनिटर होता है, जिसका पूरा नाम लाइट एमिटिंग डायोड डिस्प्ले होता है। यह मॉनिटर वजन में हल्के होते हैं और गहराई में कम होते हैं। लाइट के स्रोत के रूप में यह LED के एक पैनल का उपयोग करता है आजकल के मुख्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप और कंप्यूटर मॉनिटर LED डिस्प्ले का ही उपयोग किया जाता है।
OLED Monitors –
यह एक फ़्लैट लाइट एमिटिंग डिस्पले टेक्नोलॉजी है, जो LCD की तुलना में प्रवीण, द्युतिमान, पतला, कोंट्रेक्ट और बेहतर रिफ्रेश रेट है। यह दो कंडक्टर के बीच में ऑर्गेनिक पतली फिल्म के सीरिज का पता लगाने के लिए बनाया गया है। इस डिस्प्ले को बैकलाइट की आवश्कता नहीं पड़ती है क्योंकि यह इमेज Emissive डिस्प्ले होती है। इसके अलावा यह उच्च गुणवत्ता वाले इमेज प्रदान करता है और इनका उपयोग टैबलेट और स्मार्टफोन में किया जाता है।
DLP Monitors –
DLP का पूरा नाम डिजिटल लाइफ प्रोसेसिंग होता है इसे टेक्स्ट Instruments के द्वारा बनाया गया है। यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसका उपयोग Monitors बड़े स्क्रीन पर इमेज को प्रोजेक्ट करके Presentation के लिए किया जाता है। DLP टेक्नोलॉजी के निर्माण से पहले ज्यादातर कंप्यूटर प्रोजेक्शन सिस्टम ने फीकी और धुंधली इमेज को तैयार किया, क्योंकि यह LCD टेक्नोलॉजी के ऊपर निर्भर थे।
DLP टेक्नोलॉजी एक डिजिटल Micromirror डिवाइस का यूज करती है, जो विशेष प्रकार के माइक्रोचिप पर रखा गया एक सीसा है। यह उच्च गुणवत्ता वाले इमेज को प्रदान करती हैं, जो बिना रोशनी वाले कमरे में भी दिखाई दे सकती है।
TFT Monitors –
यह LCD फ्लैट पैनल डिस्प्ले का एक प्रकार है जो Thin-Film Transistor के लिए होता है। TFT मॉनिटर के पिक्सेल को एक से चार ट्रांजिस्टर की मदद से कंट्रोल किया जाता है। हाई क्वालिटी वाले फ्लैट पैनल डिस्प्ले LCD इन ट्रांसिस्टर का उपयोग करते है।
मगर TFT पर निर्भर मॉनिटर सभी फ्लैट पैनल टेक्नोलॉजी का बेहतर रेसोलुशन प्रदान करते हैं और यह अधिक महंगी होते हैं Thin-Film Transistor टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाले LCD active-matrix displays के नाम से जाने जाते हैं passive-matrix displays तुलना में active-matrix displays उच्च गुणवत्ता प्रदान कराते हैं।
Plasma Screen Monitors –
प्लाज्मा स्क्रीन एक पतली फ्लैट पैनल डिस्पले है, जिससे आप LCD और LED की तरह दीवार पर लटका सकते हैं LCD डिस्पले की तुलना में यह एक brighter स्क्रीन हैं और CRT की तुलना में पतला है।
निष्कर्ष (Conclusion) –
मुझे आशा है कि मैंने आप लोगों को मॉनिटर क्या है? के बारे में पूरी जानकारी दी और मैं आशा करता हूं आप लोगों को मॉनिटर क्या है के बारे में समझ में आ गया होगा। यदि आपके मन में इस आर्टिकल को लेकर कोई भी डाउट है या आप चाहते हैं कि इसमें पूछे सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीचे कमेंट लिख सकते हैं। आपके इन्हीं विचारों से हमें कुछ सीखने और सुधारने का मौका मिलेगा। धन्यवाद !
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