Cloud Computing क्या है – प्रकार, अनुप्रयोग, उदाहरण और कैसे काम करता है | Cloud Computing in Hindi

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Cloud Computing क्या है – वर्तमान समय में इंटरनेट और टेक्नोलॉजी में बहुत तेजी से विकास हो रहा है। आए दिन कोई ना कोई नई टेक्नोलॉजी को दुनिया के सामने पेश किया जा रहा है। कई सारी ऐसी टेक्नोलॉजी भी है जिनका हम दैनिक जीवन में उपयोग भी करते है लेकिन इन्हें अच्छे से समझ नही पाते है इनमें से एक Cloud Computing भी है।

हमें कंप्यूटर के डाटा को कंप्यूटर के स्टोरेज डिवाइस यानी hard drive और SSD में स्टोर करते हैं लेकिन कई कंपनियां और बिजनेस स्टार्टअप अपने कंप्यूटर के डाटा को internet पर स्टोर करते हैं।

Cloud Computing क्या है
Cloud Computing क्या है

इंटरनेट पर डाटा स्टोर करके इसे प्रोसेस भी किया जा सकता है। यह सब क्लाउड कंप्यूटिंग के कारण ही संभव है। क्लाउड कंप्यूटिंग की बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें …

 

Cloud Computing क्या है – What is Cloud Computing in Hindi

Internet के माध्यम से Computing Services डिलीवरी को Cloud Computing कहा जाता है। इन सर्विसेज में networking, data storage, service, database और software जैसे Computing resources शामिल है। क्लाउड कंप्यूटिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें डाटा और प्रोग्राम को इंटरनेट में स्टोर और एक्सेस किया जाता है अर्थात् क्लाउड कंप्यूटिंग एक तकनीक है जिसके द्वारा डाटा या इंफॉर्मेशन को इंटरनेट की सहायता से स्टोर, मैनेज और retrieve किया जाता है। क्लाउड कंप्यूटिंग को विकसित करने के लिए hard disk, डाटाबेस और software application का प्रयोग किया जाता है। 

जब हम लोकल कंप्यूटर की स्टोरेज में डाटा स्टोर करते हैं तो इसे एक्सेस और मैनेज करने के लिए हमें कंप्यूटर पर निर्भर रहना पड़ता है। क्लाउड कंप्यूटिंग में हम data और resources को कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विसेज प्रदान करने वाली कंपनी उपयोगकर्ता की फाइल और एप्लीकेशन को remote server पर स्टोर करके रखते हैं, जिसके बाद उपयोगकर्ता उन संसाधनों तक internet के माध्यम से पहुंच सकते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग आधुनिक युग के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।

 

Cloud Computing के प्रकार (Types of Cloud Computing in Hindi) –

Cloud Computing के प्रकार
Cloud Computing के प्रकार

 

Cloud Services के आधार पर –

Public Cloud –

Public Cloud वह क्लाउड होते हैं जो यूजर को इंटरनेट पर क्लाउड सेवाएं प्रदान करते हैं। पब्लिक क्लाउड को third party (Amazon, Microsoft, Google) के द्वारा मैनेज किया जाता है। पब्लिक क्लाउड का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति इंटरनेट की सहायता से कर सकता है। इसमें कोई भी व्यक्ति डाटा को स्टोर और एक्सेस कर सकता है। इस क्लाउड में कंप्यूटिंग रिसोर्सेज को CSP (Cloud Service Providers) के द्वारा मैनेज किया जाता है।

पब्लिक क्लाउड में pay-per-use के हिसाब से पैसे देने पड़ते हैं अर्थात इसका आप जितना इस्तेमाल करते हैं आपको उतने ही पैसे देने पड़ते हैं। पब्लिक क्लाउड के उदाहरण – IBM Smartcloud Enterprise, Microsoft, Google App Engine, Windows Azure Services Platform, Alibaba Cloud, Amazon Web Service आदि।

Private Cloud –

Private Cloud वह क्लाउड होते हैं जो प्राइवेट इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करते हैं। इसे internal या corporate cloud के नाम से भी जाना जाता है। प्राइवेट क्लाउड का इस्तेमाल प्राइवेट कंपनी के द्वारा किया जाता है। प्राइवेट कंपनियां अपने डाटा को मैनेज करने और अपने डाटा सेंटर बनाने के लिए प्राइवेट क्लाउड का उपयोग करती है। प्राइवेट क्लाउड की security बहुत अधिक होती है, इसमें firewall का इस्तेमाल डाटा को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। 

इस क्लाउड को user के द्वारा मैनेज किया जाता है और इसको क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर कोई सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं। प्राइवेट क्लाउड को स्थान और मैनेजमेंट के आधार पर दो भागों में बांटा गया है – On Premise Private Cloud, Outsourced Private Cloud.

Hybrid Cloud –

Hybrid Cloud, Public और Private Cloud का combination होता है अर्थात यह पब्लिक क्लाउड और प्राइवेट क्लाउड से मिलकर बना होता है। इसमें पब्लिक और प्राइवेट क्लाउड दोनों की विशेषताएं होती है। हाइब्रिड क्लाउड को Heterogeneous cloud भी कहते हैं।

हाइब्रिड क्लाउड उन organization या company के लिए बेहतर होता है जिन्हें अधिक सुरक्षा की जरूरत होती है। इस क्लाउड की सुरक्षा पब्लिक क्लाउड से तो अच्छी होती है परंतु प्राइवेट क्लाउड से कम होती है। हाइब्रिड क्लाउड के उदाहरण Gmail, Google Apps, Google Drive और MS Office आदि।

Community Cloud –

Community Cloud एक प्रकार का distributed system है, इसे बहुत सारे organization के द्वारा access किया जाता है और इसके द्वारा ये organization आपस में डाटा को share करते हैं। इस क्लाउड को एक या एक से अधिक organization या third party के द्वारा मैंनेज किया जाता है। security के मामले में यह क्लाउड सबसे अच्छे होते हैं। कम्युनिटी क्लाउड का उदाहरण Health Care Community Cloud है।

 

Cloud Deployment के आधार पर –

IaaS –

IaaS का पूरा नाम Infrastructure as a Service है। इसमें यूजर के पास कंप्यूटिंग पावर स्टोरेज, सॉफ्टवेयर आदि सभी कंट्रोल में होते हैं। IaaS का मुख्य रूप से बिजनेस में प्रयोग किया जाता है। इसे इस्तेमाल करने का मुख्य लाभ यह होता है कि यह user को फिजिकल सर्वर खरीदने की लागत कम हो जाती है और यूज़र थोड़े प्रशिक्षण के बाद इसका उपयोग करना सीख जाता है। इसके उदाहरण digital ocean, linode,  amazon web services (AWS) आदि है।

PaaS –

PaaS का पूरा नाम Platform as a Service है। PaaS क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म को प्रोग्रामर के लिए एप्लीकेशन को विकसित करना, टेस्ट करने, एप्लीकेशन को चलाने और मैनेज करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इसमें क्लाउड प्रोवाइडर ही मैनेज करता है। PaaS के उदाहरण Email Service (Gmail, Outlook), Magento Commerce Cloud, Windows Azure आदि है।

SaaS –

SaaS का पूरा नाम Software as a Service है। यह एक ऐसा क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है जिसमें एप्लीकेशन को क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा होस्ट किया जाता है। यूजर इन एप्लीकेशन को इंटरनेट कनेक्शन और web browser के द्वारा एक्सेस कर सकते हैं। इसका उपयोग अधिकांश छोटे बिजनेस में किया जाता है। इसके उदाहरण Salesforce, Google Apps, Zendisk, Bigcommerce आदि है।

FaaS –

FaaS इसका पूरा नाम Functions as a Service है। यह एक लोकप्रिय तकनीक है जो डेवलपर को इंटरनेट पर एप्लीकेशन बनाने के लिए एक प्रकार का वातावरण या प्लेटफार्म प्रदान करता है। यह सर्विस यूज़र के code को विकसित करने, कैलकुलेशन करने और उसे execute करने में मदद करती है। यह सर्विस यूज़र को इंफ्रास्ट्रक्चर को मेंटेन किए बिना ही code को डिवेलप करने और अपडेट करने की परमिशन देती है।

 

Cloud Computing कैसे काम करता है? –

क्लाउड कंप्यूटिंग एक एप्लीकेशन आधारित सॉफ्टवेयर है जो रिमोट सर्वर पर डाटा स्टोर करता है। इसे इंटरनेट के माध्यम से आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। क्लाउड कंप्यूटिंग की कार्यप्रणाली को समझने के लिए इसे front-end और back-end दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। 

Front-End user को इंटरनेट कनेक्शन और क्लाउड कंप्यूटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके क्लाउड में स्टोर डाटा को एक्सेस करने में सक्षम बनाता है। डाटा को सुरक्षित रूप से स्टोर करने के लिए Back -End जिम्मेदार होता है। 

क्लाउड का प्राइमरी कॉम्पोनेंट डाटा को क्लाउड में स्टोर करता है। सेंट्रल सर्वर प्रोटोकॉल के द्वारा operation की सुविधा प्रदान की जाती है। क्लाउड कंप्यूटिंग सेवा प्रदाता आमतौर पर डेटा की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए डाटा की कई कॉपी अलग-अलग क्लाउड सर्वर पर बनाते हैं।

 

Cloud Computing के उदाहरण (Examples of Cloud Computing in Hindi) –

YouTube –

प्रसिद्ध वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म यूट्यूब पर रोजाना लाखों वीडियो अपलोड होते हैं। यूट्यूब इतने सारे वीडियो को store करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है।

Facebook –

फेसबुक एक प्रसिद्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जिस पर अरबों लोगों की प्रोफाइल है और बहुत सारा डाटा मौजूद है। इतने सारे डेटा को रखने के लिए फेसबुक भी क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करता है।

Emails –

ईमेल सेवा प्रदान करने वाली कंपनी (gmail, rediff, yahoo) और ऑनलाइन स्टोरेज स्पेस देने वाली सारी कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करती है।

Google Drive –

गूगल कंपनी के द्वारा बनाया गया गूगल ड्राइव एक ऐसा एप्लीकेशन और वेबसाइट है जिसमें हम फोटो, वीडियो और डाक्यूमेंट्स अपलोड कर सकते हैं। इन सभी फाइल को हम गूगल ड्राइव में जाकर देख सकते हैं साथ ही ऑनलाइन एडिट भी कर सकते हैं।

Online Games –

आज के समय में ऑनलाइन गेम्स का चलन बढ़ रहा है। ऑनलाइन गेम्स का डाटा ऑनलाइन सर्वर पर अपलोड रहता है। कंप्यूटर और स्मार्टफोन में हम ऑनलाइन गेम्स का एप्लीकेशन डाउनलोड करके सीधे ऑनलाइन सर्वर के माध्यम से बिना किसी डाटा फाइल के ऑनलाइन गेम खेल सकते हैं।

Web Hosting –

वेब होस्टिंग का मतलब है वेबसाइट का स्टोरेज जहां पर वेबसाइट का डाटा स्टोर रहता है। वेब होस्टिंग में हम डाटा स्टोर करके डाटा को वेबसाइट की मदद से ऑनलाइन दिखा सकते हैं। वेब होस्टिंग क्लाउड कंप्यूटिंग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

 

Cloud Computing का इतिहास (History of Cloud Computing in Hindi) –

क्लाउड कंप्यूटिंग की शुरुआत 1960 के दशक में मानी जाती है लेकिन उस समय में इंटरनेट की भी ठीक से शुरुआत नहीं हुई थी। क्लाउड कंप्यूटिंग की वास्तविक शुरुआत 1990 के दशक में हुई जब Salesforce नामक कंपनी ने लोगों को अपनी सर्विस देना शुरू की। इसके बाद लोगों के बीच में धीरे-धीरे यह सर्विस प्रचलित होने लगे लगी। 

शुरुआत में क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल केवल बिजनेस के लिए किया जाता था लेकिन कुछ समय के बाद यह सर्विस बहुत तेजी के साथ पूरी दुनिया में फैल गई। आज के समय में गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनीयां क्लाउड कंप्यूटिंग की सुविधा लोगों को प्रदान करवाती है।

 

Cloud Computing के अनुप्रयोग (Application of Cloud Computing in Hindi) –

Online Data Storage –

क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग क्लाउड स्टोरेज पर फाइल, इमेज और वीडियो को स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह डाटा और फाइलों को क्लाउड स्टोरेज का एक्सेस प्रदान करता है।

Backup and Recovery –

इसका इस्तेमाल डाटा का बैकअप लेने के लिए किया जाता है। इसमें कोई भी डाटा को दोबारा प्राप्त करने के लिए बहुत से टूल होते हैं जो खोए हुए डाटा को retrieve करते हैं। खोए हुए डाटा को प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग में ऐसा नहीं है इसमें डाटा को रिकवर करना काफी आसान होता है।

Big Data Analysis –

क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल बड़ी-बड़ी कंपनियों के द्वारा स्टोर डाटा को analyze करने के लिए किया जाता है। हम सभी जानते हैं कि बड़ी मात्रा में किसी डाटा को analyze करना कितना मुश्किल काम होता है, लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग ने इस काम को आसान बना दिया है।

Testing and Development –

इसका इस्तेमाल किसी एप्लीकेशन को टेस्ट और डिवेलप करने के लिए किया जाता है। इसमें एप्लीकेशन को विकसित करना और उसे टेस्ट करना बहुत ही आसान है। क्लाउड कंप्यूटिंग में बहुत सारे टूल्स होते हैं जिनके द्वारा किसी भी एप्लीकेशन को आसानी से विकसित और टेस्ट किया जा सकता है।

Antivirus –

क्लाउड कंप्यूटिंग में एक प्रकार का antivirus software होता है, जो बिजनेस में मौजूद सिस्टम पर निगरानी रखता है और उन्हें virus से सुरक्षित रखता है। जब क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीक नहीं थी तो बिजनेस को अपने कंप्यूटर पर एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं है क्योंकि इसमें पहले से ही एंटीवायरस एप्लीकेशन होता है।

E-Commerce –

क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल ई-कॉमर्स में किसी भी प्रोडक्ट के डाटा को ऑनलाइन स्टोर करने के लिए किया जाता है। ऑनलाइन प्रोडक्ट खरीदने और बेचने का एक फायदा यह है कि व्यापारी और कस्टमर दोनों डायरेक्ट एक दूसरे से जुड़ पाते हैं और कस्टमर को खुद दुकान में जाने की जरूरत नहीं पड़ती है, सामान घर में पहुंच जाता है।

Education –

क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाता है। आज ई-लर्निंग, ऑनलाइन डिस्टेंस प्रोग्राम लर्निंग और स्टूडेंट इनफॉरमेशन पोर्टल आदि मौजूद। यह सभी कार्य क्लाउड कंप्यूटिंग के कारण संभव हो पाए हैं। इस तकनीक ने स्टूडेंट्स को नए तरीके से पढ़ाई करने के लिए बेहतर वातावरण प्रदान किया है जिसके कारण पढ़ाई करना और भी आसान बन गया है। आज के समय में दुनिया में ऑनलाइन शिक्षा का प्रचलन बढ़ रहा है जिसमें क्लाउड कंप्यूटिंग की बहुत बड़ी भूमिका है।

E-Governance –

क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल सभी सरकारी कामों को पूरा करने के लिए भी किया जाता है। सरकार लोगों का डाटा क्लाउड के अंदर ही सेव करके रखती है जिसे बाद में आसानी से access किया जा सके। 

Medical Field –

मेडिकल क्षेत्र में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग मरीजों के डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह रोगियों के बीच सूचनाओं को आसानी से डिस्ट्रीब्यूटर करने में मदद करता है। क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से डॉक्टर इमरजेंसी कॉल, एंबुलेंस की जानकारी को आसानी से एक्सेस किया जा सकता है।

Entertainment –

इसका इस्तेमाल मनोरंजन के क्षेत्र में भी किया जाता है। यह तकनीक विभिन्न मनोरंजन एप्लीकेशन जैसे ऑनलाइन गेम और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रदान करती है।

 

Best Service Providers of Cloud Computing –

  • Google Cloud
  • IBM Cloud
  • AWS
  • Microsoft AZURE
  • Alibaba Cloud

 

 

निष्कर्ष (Conclusion) –

इस आर्टिकल के द्वारा हमने आपको Cloud Computing के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की है। हमें पूरी उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि Cloud Computing क्या है? और आपको क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में बहुत कुछ जाने को मिला होगा। अगर यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरूर करें।

 

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