Computer Language क्या है – कंप्यूटर लैंग्वेज के प्रकार | What is Computer Language in Hindi

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दोस्तों आज हम computer language के बारे में जानेंगे आप लोगों को कंप्यूटर की भाषा के बारे में जानकारी होनी चाहिए क्योंकि एक कंप्यूटर के बारे में जानने वाले या कंप्यूटर चलाने वाले लोगों को यह जानना बहुत जरूरी है कि कंप्यूटर किस भाषा को समझता है उसके बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए आम बोलचाल की भाषा लोगों के बीच से अलग-अलग होती है हर जगह की जो भाषा है वह अलग होती है और बाद कुछ दूर पर ही बदलती रहती है क्या ऐसा ही कंप्यूटर के सिस्टम में भी होता है कंप्यूटर की भाषा क्या बदलती रहती है या कंप्यूटर केवल एक ही तरह की भाषा को समझता है। 

Computer Language क्या है
Computer Language क्या है

 

Computer Language क्या है – What is Computer Language in Hindi

computer language एक ऐसी Language होती है जिसके द्वारा कंप्यूटरों के साथ Communicate किया जाता है। जिस तरह हम इंसान आपस में एक दूसरे से Communicate करने के लिए किसी ना किसी Language का इस्तेमाल करते है। ठीक उसी तरह Computer भी Communicate करने के लिए Language का उसे करते है। 

जिसे हम Computer Language कहते है। कंप्यूटर Language Instructions का एक समूह होता है जिसके द्वारा किसी विशेष कार्य को पूरा किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो कंप्यूटर लैंग्वेज एक कोड होता है जिसके द्वारा प्रोग्राम को लिखा जाता है। कंप्यूटर लैंग्वेज का प्रयोग डेस्कटॉप एप्लीकेशन, मोबाइल एप्लीकेशन और वेबसाइट को बनाने के लिए किया जाता है। जैसे की Java, C++ का प्रयोग करके App बनाई जाती है। 

computer language को Programming Language भी कहा जाता है और इसका प्रयोग Programmers के द्वारा Computer Program को Create करने के लिए किया जाता है। कुछ कंप्यूटर Language इंसान की समझ में नही आती है इन्हे केवल Computer ही समझ सकता है।

 

Computer की पहली लैंग्वेज कौन सी है? –

FORTRAN –

1957 में प्रमुख लैंग्वेज में से पहली Fortran के रूप में दिखाई दे। इसका नाम Formula Translating सिस्टम के लिए है। Language को वैज्ञानिक कंप्यूटिंग के लिए IBA में डिजाइन किया गया था। Component बहुत सरल है और प्रोग्रामर को कंप्यूटर के अंदरूनी हिस्सों में Low Level एक्सेस प्रदान करते थे आज को मचको प्रतिबंधात्मक माना जाता है क्योंकि इसमें केवल IF, DO और GOTO कथन शामिल थे, लेकिन उस समय, यह कमांड एक बड़ा कदम था।

आज उपयोग में आने वाले बुनियादी प्रकार के डाटा ने वोल्ट्रॉन में अपनी शुरुआत की, इनमें Logical वेरिएबल और प्रणाम, वास्तविक और Double-Stick संख्या में शामिल थी। हालांकि Fortran नंबर्स को संभालने में अच्छा था, जो कि व्यवसायिक कंप्यूटिंग के लिए सबसे अधिक मायने रखता था। 1959 में Business कंप्यूटिंग की शुरुआत हुई और इसी के चलते COBOL का विकास हुआ।

 

Computer में कितनी लैंग्वेज होती है? –

मौजूद computer language की कुल संख्या लगभग 9000 है, हालांकि 50 ऐसी है जो आज उपयोग में आने वाली सबसे लोकप्रिय प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एक्विजिशन संख्या है जो कोर्ट सॉफ्टवेयर डेवलपर्स कोमा वेब डेवलपर्स और अन्य कंप्यूटर विज्ञान पेशेवरों द्वारा उपयोग की जाती है। आपके पास जावा, जावास्क्रिप्ट और कॉफिस्क्रिप्ट है : पाइथन और रूबी: सी,  सी++, #,  और ऑब्जेक्टिव – सी; कोबोल, ALGOL 58, ALGOL 60, ALGOL 68, ALGOL W, और BASIC; Fortran, असेंबली लैंग्वेज और मशीन लैंग्वेज है। विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की इतनी विशाल संख्या है कि एक बिंदु या किसी अन्य पर हम सभी आश्चर्यचकित हैं: कितनी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है?

विकिपीडिया के अनुसार, लगभग 700 प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जिसमें गुड कोडिंग लैंग्वेज भी शामिल है। अन्य स्रोत जो केवल उल्लेखनीय लैंग्वेज को सूचीबंद करते हैं, अभी भी प्रभावशाली 245 लैंग्वेज तक कि ना जाता है। HOPL नमक एक अन्य सूची को मान जोहर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को हमेशा मौजूद रहने का दावा करती है कोमा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की कुल संख्या 8945 बताती है। कुछ का अनुमान कुल 25000 तक है।

 

Top 10 Computer Language – 

कुछ महत्वपूर्ण computer language के नाम निम्नलिखित है – 

  1. Python
  2. Java
  3. JavaScript
  4. Kotlin
  5. R
  6. PHP
  7. GO
  8. C
  9. Swift
  10. C#

 

Computer Language के प्रकार (Types of Computer Language in Hindi) –

computer language मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है जो कि निम्नलिखित है। 

  • High Level Language 
  • Low Level Language 

 

High Level Language –

Assembly भाषा में आने वाली कठिनाइयों को High Level Language इतनी दूर किया है। यह Programming आसानी से समझी जा सकती है। Programer इस भाषा में आसानी से प्रोग्राम बना सकता है। उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए निर्देशों को Statement कहते हैं। यह अंग्रेजी तथा गणितीय भाषा का सम्मिलित रूप होते हैं। इस भाषा में Program लिखने के लिए कंप्यूटर की आंतरिक संरचना की जानकारी होना आवश्यक नहीं है।

किसी एक कंप्यूटर पर लिखे गए प्रोग्राम दूसरे कंप्यूटर पर आसानी से क्रियान्वित किए जा सकते हैं। 48 भाषा में लिखे गए प्रोग्राम प्राय: सभी कंप्यूटर पर संचालित हो सकते हैं। High Level Language का इस्तेमाल User-Friendly Software और Website बनाने में किया जाता है। यह कैसी भाषा है जिसका Syntax पहले से ही निर्धारित होती है। हाई लेवल Language में Compiler और Interpreter की आवश्यकता होती है जिससे कि प्रोग्राम को Machine Language में बदला जा सके। 

High-Level Language के उदाहरण –

Python, Java, JavaScript, PHP, C#, C++, Cobol, Perl, Pascal, और FORTRAN आदि।

High Level Language के प्रकार –

अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए अलग-अलग प्रकार के हाई लेवल लैंग्वेज होते हैं। तो चलिए इन्हें पढ़ते हैं –

Object-Oriented Programming Language –

इस लैंग्वेज में दुनिया की समस्या को Observe किया जाता है। उसके बाद इस समस्या को Solve किया जाता है। Example के लिए C++, Java 

Visual Programming Language –

इस लैंग्वेज का इस्तेमाल विंडो एप्लीकेशन को बनाने के लिए और डिजाइन करने के लिए किया जाता है। Visual Basic, Visual Java, Visual C.

High Level Language के फायदे –

इसके फायदे निम्नलिखित है –

  • यह भाषा User Friendly होती है। आधार पर इसे यूजर आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। 
  • इस तरह की लैंग्वेज को Maintain करना काफी ज्यादा आसान होता है। 
  • इस लैंग्वेज को लिखना और समझना काफी ज्यादा आसान होता है। 
  • इस लैंग्वेज के Commercial Software High Level के होते हैं। 

 

High Level Language के नुकसान –

इसके नुकसान निम्नलिखित है –

  • इस भाषा में Source Code को Machine Code मैं बदलना पड़ता है जिस वजह से काफी ज्यादा समय बर्बाद होता है। 
  • High level Language मैं ज्यादा Memory Space की जरूरत पड़ती है। 
  • यह भाषा हार्डवेयर से सीधे कम्युनिकेटर नहीं कर सकती। 
  • यह भाषा Low Level Language की तुलना में Slow है।

 

Low Level Language –

Low Level Language एक ऐसी भाषा होती है जिसे इंसान नहीं समझ सकते इसे केवल Computer के द्वारा ही समझा जा सकता है। कंप्यूटर में इस लैंग्वेज को बड़ी ही आसानी से समझ सकते हैं। यह Language High Level Language के बिल्कुल विपरीत होती है। यह भाषा Machine Dependent रहती है इसका मतलब यह है कि यह भाषा कुछ ही कंप्यूटर पर Run होती है।

इस Language में प्रोग्राम को Run करने के लिए Compiler और Interpreter की जरूरत नहीं पड़ती है। इस Language का Program काफी तेज Execute होता है। इसके अलावा Output भी काफी जल्दी देता है। यह Language High Level Language के मुकाबले काफी ज्यादा मुश्किल होती है।आरती से सीखना मुश्किल होता है।

Low Level Language के प्रकार – 
  • Machine Language
  • Assembly Language

Machine Language –

मशीन लैंग्वेज वह बस होती है जिसमें केवल बाइनरी अंको को भी प्रयोग में लाया जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो जिस भाषा को कंप्यूटर बिना किसी टेक्नोलॉजी के समझ लेता है। उसे हम Machine Language कहते हैं। कंप्यूटर केवल बाइनरी को समझ पाता है। बाइनरी डिजिट का Use Computer हर काम के लिए करता है। जो प्रोग्राम 0 से लेकर 1 डिजिट के होते हैं। उन्हें हम Machine Language प्रोग्राम कहते हैं। 

Assembly Language –

Assembly Language एक Low Level प्रोग्रामिंग Language है। इसको Machine Language में बदलने के लिए एक Software की आवश्यकता होती है जिसे असेंबलर कहते हैं। असेंबली Language का प्रयोग माइक्रोप्रोसेसर डिवाइस में, और रियल टाइम सिस्टम में किया जाता है। इस लैंग्वेज में 0 और 1 डिजिट के स्थान पर Alphabet का Use किया जाता है। जैसे कि – A-Z, 0-9 

असेंबली भाषा में लिखे गए प्रोग्राम किसी दूसरे कंप्यूटर पर Execute नहीं हो सकते हैं। इस भाषा को लिखने और समझने के लिए कंप्यूटर Hardware की नॉलेज होनी चाहिए।

Low Level Language के फायदे – 

इसके फायदे निम्नलिखित हैं –

  • इस लैंग्वेज की Speed काफी अच्छी होती है।
  • इस लैंग्वेज का Use करना काफी ज्यादा आसान है।
  • इस लैंग्वेज में ज्यादा Memory Space की जरूरत नहीं पड़ती है। 
  • इस Programming Language की मदद से हम बड़ी ही आसानी से Hardware को Access कर सकते हैं। 
  • Low Level Language के लिखे हुए Code को Run करने के लिए किसी भी Compiler तथा Interpreter की जरूरत नहीं पड़ती। 

 

Low Level Language के नुकसान –
  • इस Language में गलती होने की संभावना ज्यादा रहती है। 
  • इस भाषा में गलतियों क ढूंढना मुश्किल होता है। 
  • इस लैंग्वेज में Program को लिखना बहुत कठिन होता है। 
  • इस लैंग्वेज के कोड लिखने के लिए Programer को काफी अच्छी Knowledge होनी जरूरी है। 

 

 

निष्कर्ष (Conclusion) –

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल ले अच्छे से समझ आ गया होगा कंप्यूटर लैंग्वेज क्या है और यह कितने प्रकार की होती है। अगर आपका computer language से रिलेट कोई सवाल है तो आप नीचे Comment करके हमें पूछ सकते हैं। High Level Language में लिखे गए Program को कंप्यूटर के Machine Language में बदलने के लिए इंटरप्रिंटर है और Compiler की मदद से उसको मशीनी भाषा में परिवर्तित करना पड़ता है जिसके बाद कंप्यूटर उसको समझ पाता है।

 

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