Internet of Things बहुत ही advanced technology है जिसे की बहुत ही जल्द हम अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल करने वाले हैं। Computer और internet ऐसी चीज है जिसके बारे में हर किसी ने सुना होगा और इनका इस्तेमाल भी किया होगा। Computer और internet के साथ कई तरह की चीजें जुड़ी हुई होती है, जिनका हम इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन उनके बारे में हमें पता नहीं होता है।
technology के क्षेत्र में कई तरह की चीजों का निर्माण आए दिन हो रहा है, जिनमें से एक तकनीक Internet of Things है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक ऐसा concept है जिसकी मदद से हमारे सारे काम automation mode में चले जाएंगे। तो चलिए देर न करते हुए शुरू करते है …
Internet of Things क्या है – What is Internet of Things in Hindi
Internet of Things एक ऐसा concept है जो यह बताता है कि अगर दुनिया की सारी चीज जिसे की दैनिक जीवन में इस्तेमाल में लाया जाता है को अगर internet से कनेक्ट हो जाए तब इंटरनेट ऑफ थिंग्स में सारे कनेक्टेड डिवाइस एक दूसरे को identify कर सकेंगे जो कि internet के साथ कनेक्टेड हो।
“भौतिक वस्तुओं, जगह तथा इंसानों को आपस में किसी नेटवर्क पर जोड़ना ही इंटरनेट ऑफ थिंग्स कहलाता है। जहां पर यह एक दूसरे से कम्युनिकेट करते हैं, डाटा भेजते हैं, प्राप्त करते हैं, उसे प्रोसेस करते हैं और एक्शन लेते हैं।”
यह सभी कनेक्टेड वस्तुएं आपस में तीन तरह से कम्युनिकेट कर सकती है –
Human to Human – जब किसी IoT सिस्टम पर इंसान आपस में एक दूसरे से कम्युनिकेट करते हैं तो उसे Human to Human का कम्युनिकेशन कहते हैं।
Human to Machine – जब किसी IoT सिस्टम पर मौजूद वस्तुएं तथा मशीनें इंसानों से कम्युनिकेशन करती है तो इस स्थिति में उसे Human to Machine कहते हैं।
Machine to Machine – IoT सिस्टम की अधिकतम सफलता इसी कम्युनिकेशन से निर्धारित हो रही है क्योंकि इस मॉडल में एक IoT सिस्टम से जुड़ी हुई मशीनें आपस में ही कम्युनिकेट करती है और एक दूसरे से प्राप्त डाटा के आधार पर एक्शन भी लेती है।
Internet of Things कैसे काम करता है? –
एक इंटरनेट ऑफ थिंग्स सिस्टम स्मार्ट डिवाइस से मिलकर बना होता है जो डाटा एकत्रित करने, भेजने तथा प्राप्त करने के लिए built-in sensors, एंबेडेड प्रोसेसर्स तथा संचार तकनीक का उपयोग करते हैं। यह डिवाइस सभी डाटा अपने आसपास के वातावरण से ग्रहण करते हैं और उसे संबंधित इंटरनेट ऑफ थिंग्स gateway तक पहुंचा देते हैं।
जहां पर डेटा का विश्लेषण किया जाता है और कौन सा डाटा रखना है, किसे सुरक्षित छोड़ देना है यह फैसला भी डाटा server पर होता है। इस विश्लेषण से प्राप्त सूचना के आधार पर कोई पैटर्न का पता लगाया जाता है और संभावित समस्याओं का पता लगाया जाता है।
यह सभी काम computer सिस्टम पर होता है। डाटा लिया जाता है, उसे प्रोसेस किया जाता है, फिर उसी डाटा के आधार पर कोई फैसला लिया जाता है। यहां पर Big Data का विश्लेषण होता है क्योंकि यहां डाटा निरंतर प्राप्त होता रहता है। व्यापक स्तर पर डेटा की प्राप्ति होती है जिसे डाटा माइनिंग भी कहते हैं।
कौनसे Devices Internet of Things का हिस्सा बन सकते है? –
कोई भी डिवाइस अगर उसमें On और Off की स्विच हो तो उसके इंटरनेट ऑफ थिंग्स का हिस्सा बनने की संभावना अधिक होती है। इसमें प्राय कनेक्टेड डिवाइस के IP Address होते हैं। Internet Protocol Version 6 (Ipv6) के होने से devices में IP Address को assign करना बहुत ही आसान हो गया है क्योंकि इसकी मदद से अनेक devices के साथ कनेक्ट किया जा सकता है।
ऐसी चीजें जिन्हें आप internet के साथ कनेक्ट कर सकते हैं –
Connected Wearables – Smartwatches, Smart glasses, fitness bands etc.
Connected Homes – इसमें ऐसे उपकरण शामिल है जिन्हें हम घर पर इस्तेमाल करते हैं।
Connected Cars – vehicles जो कि internet के साथ कनेक्ट हो सके।
Connected Cities – smart meters जो की water, gas, electricity के उपयोग को आसानी से analyse कर सकते हैं।
ऐसे Network जिनके अंदर बड़े आराम से इंटरनेट ऑफ थिंग्स के उपकरण कनेक्ट हो सकते हैं –
- BAN (Body Area Network) – wearables
- LAN (Local Area Network) – smart home
- WAN (Wide Area Network) – connected car
- VWAN (Very Wide Area Network) – smart city
Internet of Things के अनुप्रयोग (Applications of Internet of Things in Hindi) –
Agriculture –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का प्रयोग स्मार्ट तरीके से खेती को करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग कृषि में फसलों और खेत की quality को check करने में किया जाता है। इसका प्रयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है। जो जानवर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं उन जानवरों की निगरानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स के माध्यम से आसानी से कर सकते हैं।
Smart Homes –
इंटरनेट ऑफर थिंग्स का इस्तेमाल घरों को smart बनाने में किया जाता है, जैसे घरों की security के लिए, light प्रदान करने के लिए आदि। इंटरनेट ऑफ थिंग्स में यूजर अपने smartphone, tablet और computer की मदद से घर के अन्य devices को कंट्रोल कर सकता है, जैसे mobile से ही पंखे को on या off कर सकता है।
Smart City –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इस्तेमाल स्मार्ट सिटी के निर्माण के लिए किया जाता है। शहर में इसका इस्तेमाल ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए, कूड़े को मैनेज करने के लिए, water distribution के लिए और electricity supply को मैनेज करने के लिए किया जाता है।
Wearables –
smart watch, heart rate monitor, fit bits और GPS tracking belts जैसे devices का उपयोग यूजर अपनी daily life में करते हैं। Google, Apple और Samsung जैसी कंपनियां इन devices को विकसित करती है। wearables के ज्यादातर devices का आकार काफी छोटा होता है जिसकी वजह से यह devices ज्यादा मात्रा में energy को consume नहीं कर पाते।
Banking –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग बैंकिंग के क्षेत्र में किया जाता है। व्यक्ति को पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंकों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। वह घर बैठे ही अपने पैसों को एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में आसानी से ट्रांसफर कर सकता है।
इसके अलावा सामान खरीदने से लेकर मोबाइल रिचार्ज तक करने के काम के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स का प्रयोग किया जाता है। आज के समय में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन इंटरनेट ऑफ थिंग्स के कारण ही संभव है।
Surveillance –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का प्रयोग घरों, ऑफिस, बैंकों तथा एयरपोर्ट की निगरानी के लिए किया जाता है जिससे इन सभी स्थानों की सुरक्षा रहती है। CCTV Camera इसका एक उत्तम उदाहरण है।
Medical & Health Care –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का प्रयोग मेडिकल और हेल्थ केयर क्षेत्र में किया जाता है। इसके द्वारा स्मार्ट ऑपरेशन थिएटर, स्मार्ट बेड तथा स्मार्ट जांच उपकरण जो स्वयं जांच करके उपयुक्त निर्देश भी देने में सक्षम होते हैं आदि को विकसित करने में किया जाता है।
Manufacturing –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक के उपयोग तथा machine-to-machine कम्युनिकेशन का उपयोग प्रोडक्ट डिमांड, फीचर्स, ऊर्जा प्रबंध, प्लांट सुरक्षा, कर्मचारियों की हेल्थ, निर्माण कार्य का स्वचालन आदि कार्यों के लिए किया जा रहा है। इसके साथ इंडस्ट्रियल बिग डाटा एनालिटिक्स तथा cyber-physical सिस्टम जैसी तकनीकों का सहारा लिया जाता है ताकि सटीक निर्णय और भविष्यवाणियां की जा सके।
Internet of Things के प्रकार (Types of Internet of Things in Hindi) –
LPWANs –
LPWANs को Low Power Wide Area Networks भी कहा जाता है। इसका उपयोग लंबी दूरी के कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है। LPWANs का उपयोग सभी प्रकार के इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेंसर को devices के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है। LPWANs की सहायता से डिवाइस को ट्रैक किया जा सकता है तथा इसके साथ ही वातावरण में होने वाली घटनाओं पर नजर रखी जा सकती है।
Cellular Network (3G/4G/5G) –
Cellular एक प्रकार का network (3G/4G/5G) होता है, जिसका उपयोग यूज़र को बेहतर voice call और video streaming की सुविधा प्रदान करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इसका उपयोग कार में music सुनने तथा road में traffic को देखने के लिए किया जाता है।
Zigbee –
Zigbee एक तरह की wireless तकनीक है जिसका उपयोग वायरलेस डिवाइस से वायरलेस डिवाइस में डाटा को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। Zigbee ज्यादा मात्रा में एनर्जी को consume नहीं करते है। Zigbee का निर्माण इंटरनेट ऑफ थिंग्स network की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी किया जाता है।
Bluetooth –
Bluetooth एक wireless network है, जिसका उपयोग डाटा और फाइल्स को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। Bluetooth PAN (Personal Area Networks) की कैटेगरी में आता है जिसका मतलब यह है कि bluetooth network का उपयोग सीमित क्षेत्र में डाटा और फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। इसकी रेंज लगभग 100 मीटर की होती है। इसकी मदद से internet को access किया जा सकता है।
Wi-Fi –
Wi-Fi एक तरह की wireless टेक्नोलॉजी है जिसका उपयोग computer, mobile और tablet जैसे devices में internet को कनेक्ट करने के लिए किया जाता है। Wi-Fi टेक्नोलॉजी सीमित क्षेत्र को cover करने के लिए होती है। Wifi किसी device को internet से कनेक्ट करने के लिए nearby technology और radio signal का उपयोग करता है।
RFID (Radio Frequency Identification) :-
RFID को Radio Frequency Identification भी कहा जाता है। इसका उपयोग डाटा को संचारित (transmit) करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग real time data को track करने के लिए भी किया जाता है। इसमें यूजर का डाटा secure होता है।
Internet of Things का इतिहास (History of Internet of Things in Hindi) –
Smart device को आपस में जोड़कर Smart network बनाने की शुरुआत Carnegie Mellon University में सन 1982 से हो गई थी। इस विश्वविद्यालय में एक Coke Vending Machine बनाई गई थी जो मशीन के अंदर रखी बोतलों के बारे में बता सकती थी यह ठंडी है या नहीं और साथ ही स्टॉक की जानकारी देने में भी सक्षम थी।
सन 1999 में एक scientist जिसका नाम था Kevin Ashton सबसे पहले इस concept का नाम “ Internet of Things ” रखा था। इस कार्य के लिए उन्होंने RFID (Radio Frequency Identification) तकनीक की सिफारिश की थी जो कंप्यूटरों को अलग-अलग डिवाइसों को प्रबंध करने योग्य क्षमता प्रदान कर सकती थी।
Internet of Things का भविष्य (Future of Internet of Things) –
आज के समय में दुनिया भर में करीब 1200 करोड़ उपकरण इसके अंतर्गत आते हैं। आने वाले समय में इनकी संख्या बढ़ जाएगी। इसके अलावा इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स का वैश्विक बाजार मूल्य बहुत अधिक है। इसकी लोकप्रियता और सिक्योरिटी के कारण आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ेगी।
Internet of Things के फायदे (Advantages of Internet of Things in Hindi) –
Easy Access –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स को Access करना काफी ज्यादा आसान होता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से हम दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आवश्यक जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं। इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे पास internet connection और smart devices की सुविधा होनी चाहिए।
Speed –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स devices में डाटा को transfer करने की गति काफी तेज होती है। ये devices बहुत तेज गति से डेटा को एक devices से दूसरे devices में transfer करते हैं।
Cost Reduction –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स devices की मदद से product और equipment को maintain करना काफी आसान होता है, जिसके कारण इन सभी चीजों में ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं।
Automation –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स Automation को काफी बढ़ावा देता है। Automation का अर्थ होता है कि जिन कामों को करने के लिए इंसानों की जरूरत ना पड़े। इंटरनेट ऑफ थिंग्स के devices automatically ही किसी काम को पूरा करने में सक्षम होते हैं।
Save Time –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स में user के समय की बचत होती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स किसी काम को बहुत तेज गति के साथ पूरा करने में सक्षम होते हैं।
Monitor –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग करके हम किसी भी तरह की चीज को आसानी से मॉनिटर कर सकते हैं। जैसे – हवा की मात्रा, तापमान और वायु की क्वालिटी को मॉनिटर करना तथा इसके साथ ही प्रोडक्ट की निगरानी करना आदि।
Better Lifestyle –
आज के समय में लगभग सभी लोग इंटरनेट ऑफ थिंग्स के डिवाइस का उपयोग करते हैं, जिसके कारण लोग अपने काम आसानी से पूरा कर पाते हैं। जैसे आजकल लोग smart phone, smart TV, refrigerator, A.C. और smart car जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं।
Internet of Things के नुकसान (Disadvantages of Internet of Things in Hindi) –
Security और Privacy –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि इसमें Security का अभाव देखने को मिलता है अर्थात् यूजर का डाटा पूरी तरह secure नहीं होता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स के ज्यादातर devices internet के साथ जुड़े होते हैं, जिसके कारण इन devices को hackers के द्वारा ही hack किया जा सकता है।
Complexity –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स में टेक्नोलॉजी को डिजाइन करना, उनको develop करना और उन टेक्नोलॉजी को maintain करना काफी मुश्किल और complex होता है।
Unemployment –
आज के समय में ज्यादातर कार्य को इंटरनेट ऑफ थिंग्स से चलने वाली मशीनों के द्वारा पूरा किया जाता है जिसके कारण labour work की जरूरत नहीं पड़ती है जिससे बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
Dependency –
आज हर व्यक्ति इंटरनेट ऑफ थिंग्स devices पर पूरी तरह निर्भर हो चुका है। इन devices के बिना वह किसी भी कार्य को नहीं कर सकता है, जो इंसान के लिए एक खतरा है।
Top Internet of Things Companies –
- IBM
- Intel
- Microsoft
- Apple
- Cisco
- Samsung
भारत में Internet of Things की स्थिति (Internet of Things Projects in India) –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स की भारत में अभी शुरुआत हुई है लेकिन इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। भारत सरकार द्वारा देश में कई तरह की योजनाएं शुरू की गई जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स को बढ़ावा दे रही है। इन योजनाओं में डिजिटल इंडिया और स्मार्ट सिटी योजना जैसी योजनाएं है जो लोगों को इंटरनेट और डिजिटल कनेक्टिविटी की ओर अवसर प्रदान करती है।
India’s Top Internet of Things Companies –
- TATA ELXSI
- INFOSYS
- LTI
- HCL TECH
- TECH MAHINDRA
निष्कर्ष (Conclusion) –
इस आर्टिकल में हमने आपको Internet of Things के बारे में पूरी जानकारी दी है। दुनिया में कई तरह के उपकरण बनाए जा रहे हैं, जो हम लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं। इन उपकरणों से हम लोग आसानी से अपने कार्यों को कर पा रहे हैं।
लेकिन इसके साथ ही हम धीरे-धीरे तकनीक पर निर्भर होते जा रहे हैं, जिस को देखकर लगता है कि आने वाले समय में हम लोग पूरी तरह से इन तकनीकों के गुलाम बनने वाले हैं जो कि एक अच्छा संकेत नहीं है। हमें उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। धन्यवाद !