ड्रोन (UAV) क्या है? – What is Drone UAV in Hindi

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ड्रोन जिसको हम यूएवी यानी अनमेंड एरियल व्हीकल भी कहते है। आपने कभी ना कभी किसी शादी इवेंट या किसी मूवी की शूटिंग में वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए ड्रोन का उपयोग होते हुए देखा होगा इस आर्टिकल में हम ड्रोन (UAV) क्या है? (What is Drone UAV in Hindi) के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

यह क्या होते है, और कैसे काम करते है, और कहां-कहां इनका इस्तेमाल किया जा रहा है तो इस आर्टिकल को को अंत तक जरुर पढ़ें।

 

ड्रोन (UAV) क्या है? – What is Drone UAV in Hindi – 

ड्रोन एक प्रकार के (Unmanned) यानि की मानव रहित फ्लाइंग रोबोट्स होते है जिन्हें रिमोट द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है। इसके अलावा इन्हें सॉफ्टवेर कंट्रोल्ड फ्लाइट प्लांस के माध्यम से भी उड़ाया जा सकता है। जो कि इसमें लगे सेंसर्स और जीपीएस के सहयोग से काम करते है। 

ड्रोन का इस्तेमाल अधिकतर मिलिट्री ऑपरेशंस में किया जाता था। लेकिन अब इनका इस्तेमाल दुर्गम स्थानों में फंसे लोगों को रेस्क्यू करने में सुरक्षा और निगरानी में तथा एरियल फोटोग्राफी में भी किया जाने लगा है। ड्रोन का इस्तेमाल और भी कई क्षेत्रों में किया जा रहा है जिसके बारे में हम आगे बतायेंगे आप हमारी इस मनोरंजक पोस्ट पर बने रहिये।

 

ड्रोन का इतिहास – History of Drone in hindi – 

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यूनाइटेड किंगडम और यूएसए ने UAV यानी (Unmanned Aerial Vehicles) विकसित किए थे ब्रिटेन ने मार्च 1917 में एरियल टारगेट नामक रेडियो नियंत्रित विमान का परीक्षण किया जबकि अमेरिका ने अक्टूबर 1918 में टोपे नामक रेडियो नियंत्रित विमान का परीक्षण किया जिसे कैटरिंग बक के नाम से भी जाना जाता था।

इन विमानों को स्वयं से लक्ष्य तक पहुंचकर हमला करने के लिए बनाया गया था लेकिन इनका उपयोग युद्ध के दौरान एक दूसरे पर हमला करने के लिए नहीं किया गया।

1935 में ब्रिटेन ने प्रशिक्षण के लिए रेडियो यंत्रित विमानों का विकास किया और कई मॉडल्स पेश किए इसी दौरान विभिन्न देशों ने अनमेनड एरियल टेक्नोलॉजी को एक्सप्लोर किया जैसे जर्मनी ने 1940 के दशक में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान v1 फ्लाइंग बॉम नाम का एक यूएवी बनाया जिसका इस्तेमाल दुश्मन सेना की निगरानी के लिए किया जाने लगा। 

1950 से 1970 के दौरान शीत युद्ध में निगरानी और जासूसी के लिए ड्रोन तकनीक में तेजी से प्रगति हुई अमेरिका ने सोवियत संघ पर जासूसी करने के लिए यू2 स्पाई प्लेन का इस्तेमाल किया 1980 और 1990 के दशक के दौरान ड्रोन टेक्नोलॉजी और अधिक डेवलप हो गई थी।

जीपीए और सेल्फ फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम जैसे नवाचार ने ड्रोन को अधिक एक्यूरेट और स्मार्ट बना दिया सन 2000 के बाद ड्रोन टेक्नोलॉजी में काफी विकास हुआ। पहले ड्रोन का उपयोग केवल सैन्य क्षेत्र में होता था। लेकिन आजकल हर जगह ड्रोन का उपयोग हो रहा है। जिससे इनकी मांग भी बढ़ रही है।

डीजेआई एस्टीरिया एरस्पन मेंट सिस्टम्स और गरुड़ एयरस्पेस कुछ बड़े ब्रांड्स हैं जो ड्रोन बनाते हैं अगर आपने कभी ड्रोन उड़ाया है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि वह कौन सी कंपनी का ड्रोन था।

अब आप यही सोच रहे होंगे कि आखिर यह ड्रोन उड़ान कैसे भरते हैं। इसके पीछे है कुछ वायरलेस तकनीक और फिजिक्स.. तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

इन्हें भी पढ़े –

  1. मशीन लर्निंग क्या है?
  2. वर्चुअल रियलिटी क्या है?
  3. हैकिंग क्या है?

 

ड्रोन कैसे काम करते है – How do drones work in hindi-  

ड्रोन फ्लाइंग व्हीकल्स होते हैं जिनको रिमोट से कंट्रोल किया जाता है। यह रिमोट ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन की मदद से काम करता है। जो कि ड्रोन को उड़ान भरने से लेकर उन्हें जमीन पर वापस उतारने के काम आता है।

ड्रोन को उड़ाने के लिए सबसे मुख्य भूमिका रोटर्स की होती है रोटर जिसमें मोटर के साथ जुड़ा हुआ एक प्रोपेलर शामिल होता है ड्रोन में कई प्रोपेलर्स लगे होते हैं जो वर्टिकली फिक्स्ड होते हैं जो तेजी से घूमते हैं और हवा को नीचे की ओर धकेलते है।

मोटर इन प्रोपेलर को चलाती है और थ्रस्ट पैदा करती है। और उनकी गति को नियंत्रित करके ड्रोन को उड़ने उतरने और दिशा बदलने में मदद मिलती है हर ड्रोन में कैमरा लगे होते हैं जो ड्रोन को जानकारी एकत्रित करने में सहायता करते है। 

इसके अलावा ड्रोन में कई सेंसर्स लगे होते है जैसे जीपीएस जो ड्रोन को अपनी स्थिति और स्थान  पता लगाने में मदद करता है। बैरोमीटर जो ड्रोन की ऊंचाई को मापता है तथा मैग्नेटोमीटर ड्रोन को दिशा का पता लगाने में मदद करता है। 

यह ये सेंसर्स डाटा को फ्लाइट कंट्रोलर में भेजते हैं जो कि ड्रोन का ब्रेन होता है। विभिन्न सेंसर से डेटा प्राप्त करके फ्लाइट कंट्रोलर इस डेटा का उपयोग मोटर को सिग्नल भेजने के लिए करता है।  जिससे प्रोपेलर की गति को मैनेज किया जा सकता है। और ड्रोन को स्टेबल और कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा ड्रोन में एक बैटरी भी होती है जो ड्रोन के सभी उपकरणों को चलाने में मदद करती है।

ड्रोन की बैटरी उड़ान के समय सीमा को निर्धारित करती है इसीलिए लाइट वेट और अच्छी गुणवत्ता वाली बैटरी का ही उपयोग ड्रोन में किया जाना चाहिए ताकि ड्रोन सुरक्षित स्थिर और लंबी उड़ान भर सके। अधिकांश ड्रोन रिमोट से कंट्रोल किए जा सकते है। लेकिन कुछ ड्रोन स्वचालित भी होते हैं जो जीपीएस और सेल्फ फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम के निर्देशों का उपयोग करते है। और प्रोग्राम किए गए मार्गों पर उड़ान भरते है। 

 

ड्रोन के प्रकार – Types of Drone in hindi – 

ड्रोन वैसे तो कई प्रकार के होते है। किंतु ड्रोन के कुछ मुख्य प्रकारों के बारे जानते है – 

रोटरी ड्रोन –  रोटरी ड्रोन में प्रोपेलर रोटर के जरिए मोटर से जुड़ा होता है। जिसके एक्टिव होने से हवा का दबाव ड्रोन को ऊपर उड़ाता है यह कई प्रकार के होते है। जैसे – सिंगल रोटर, ट्राई कॉप्टर, क्वेट कॉप्टर, हेक्साकॉप्टर और ऑक्टो कॉप्टर।

सिंगल रोटर ड्रोन – ड्रोन साइज में छोटे होते हैं तथा इनकी फ्लाइंग कैपेसिटी भी कम होती है। जबकि मल्टीरोटर ड्रोन की फ्लाइंग कैपेसिटी और बैलेंस अच्छा होने के कारण इनका इस्तेमाल अधिकतर प्रोफेशनल वर्क में किया जा रहा है।

फिक्स्ड विंग ड्रोन – फिक्स्ड विंग ड्रोन की डिजाइन बहुत ही अलग और यूनिक होती है। इनके विंग्स पूरी तरह से फिक्स्ड होते है। तथा इनकी फ्लाइंग कैपेसिटी अधिक होती है। जिसकी वजह से लंबी दूरी पर ऑपरेशंस में इनका उपयोग किया जाता है।

यह बहुत महंगे होते है तथा इनको उड़ाने के लिए हाई स्किल ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है।

 

ड्रोन का उपयोग कहां-कहां होता है – Where are drones used – 

आजकल ड्रोन बहुत लोकप्रिय हो गए है। और विभिन्न क्षेत्रों में इनका उपयोग हो रहा है। आइए कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में इसका उपयोग समझते है। एग्रीकल्चर ड्रोन के इस्तेमाल से कृषि में क्रांति आ रही है। 

इन बिना पायलट के उड़ने वाले ड्रोन की मदद से खेतों के ऊपर से हाई रेजोल्यूशन इमेजेस लेकर फसल की स्थिति और स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है साथ ही ड्रोन का उपयोग बीज उर्वरक और पेस्टिसाइड्स के छिड़काव के लिए भी किया जा रहा है।

इसके अलावा ड्रोन में सेंसर्स लगे होते है जिससे विशेष रूप से फसल के लिए आवश्यक न्यूट्रिशन पानी और अन्य संसाधनों का उचित उपयोग हो सकता है वाइल्ड लाइफ मॉनिटरिंग ड्रोन अब वाइल्ड लाइफ मॉनिटरिंग में भी मदद कर रहे।

ड्रोन की मदद से वाइल्ड फायर का समय रहते पता लगाकर उसको कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा अवैध शिकार वनों की कटाई और खनन जैसी अवैध गतिविधियों के खिलाफ बड़े इलाकों की निगरानी की जा रही है। तथा दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों का पता लगाने में ड्रोन वन्यजीव अधिकारियों की मदद कर रहे है।

मिलिट्री एंड रेस्क्यू ऑपरेशंस – यूएवी का सबसे ज्यादा उपयोग मिलिट्री ऑपरेशंस में किया जाता है इनका उपयोग आसमान से दुश्मन की निगरानी रखने खतरनाक इलाकों का जायजा लेने और दूर दराज क्षेत्रों में संचार बनाए रखने के लिए किया जा सकता है। 

इससे सेना के दुश्मन की रणनीति समझकर हमला करने में मदद मिलती है इसके अलावा यूएवी का इस्तेमाल आपदा राहत कार्यों में भी किया जा रहा है। इसकी मदद से घायल सैनिकों को तत्काल चिकित्सा सहायता पहुंचाई जा सकती है। तथा आपदा राहत कार्य में जरूरी दवाइयां और और सामान भी पहुंचाया जा सकता है। 

रिमोट डिलीवरी ड्रोन का इस्तेमाल डिलीवरी में भी किया जा रहा है कुछ बड़ी ग्लोबल कंपनीज अपने प्रोडक्ट्स की डिलीवरी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल करने लगी हैं इसके अलावा रिमोट एरियाज में मेडिसिन डिलीवरी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करके कई जाने बचाई जा सकती हैं। 

एरियल वीडियोग्राफी और ड्रोन का इस्तेमाल फोटोग्राफी में भी किया जा रहा है। पहले आसमान से वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए हमें हेली कॉप्टर की जरूरत पड़ती थी जो काफी डेंजरस होता था। और वीडियो स्टेबल भी नहीं होते थे।

लेकिन ड्रोन की मदद से आसमान से फोटो और वीडियो लेना बहुत आसान हो गया है ड्रोन की मदद से आप 4k वीडियोस रिकॉर्ड कर सकते हैं। इसके अलावा ड्रोन में इमेज स्टेबलाइजेशन होती है जिसकी मदद से वीडियो स्टेबल और क्लियर रिकॉर्ड होते है। साथ ही ये कॉस्ट इफेक्टिव होते हैं और इसमें कोई जान का खतरा भी नहीं रहता है।

 

ड्रोन का भविष्य – Future of Drone in hindi – 

ड्रोन टेक्नोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के इंटीग्रेशन से जटिल कार्य भी न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ आसानी से किए जा सकेंगे। जिससे विभिन्न उद्योगों में संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।

उदाहरण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित नेविगेशन सिस्टम से लेस ड्रोन ऑटोनोमस इंफ्रास्ट्रक्चर का इंस्पेक्शन कर सकते है। जबकि एआई आधारित डेटा एनालिसिस क्षमताएं कृषि उपज की निगरानी और अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में मदद कर सकती है। 

इसके साथ ही ड्रोन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर विभिन्न क्षेत्रों में फैल रहा है। जैसा कि एग्रीकल्चर डिफेंस लॉजिस्टिक्स फिल्म मेकिंग टूरिजम इत्यादि। जिसकी वजह से ड्रोन की मांग बढ़ रही है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

 

निष्कर्ष – Gist – 

उम्मीद है यह आर्टिकल ड्रोन (UAV) क्या है आपको पसंद आया होगा अगर पसंद आया तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें। थैंक यू ।

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